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Hindi News Club (ब्यूरो) : आज के समय में कोई भी भारतीय नागरिक देश के किसी भी कोने में घूमने का आनंद (Best tourist place in india) ले सकता है। वहां ठहरने का प्लान बना सकता है, प्राकृतिक नजारों का मजा लूट सकता है। इसके विपरीत एक समय था जब देश के सबसे खूबसूरत शहरों में शुमार मसूरी में भारतीयों के आने पर बैन था। अंग्रेजों ने यहां पर यह तक लिखवा दिया था कि इंडियंस नॉट अलाउड। आज इस शहर में हर भारतीय को जाने की अनुमति और वहां प्रकृति की छटाओं-घटाओं का आनंद लूट सकता है।
सबसे सुंदर हिल स्टेशनों में से एक है मसूरी
मसूरी देश के सबसे सुंदर हिल स्टेशनों (Best Hill station)में से एक है। देश ही नहीं दुनियाभर से अनेक टूरिस्ट यहां पर इस शहर की सुंदरता को देखने के लिए आते हैं। मसूरी में आज के समय में भारतीय सैलानियों की इतनी भीड़ होती है कि पैर रखने को भी जगह नहीं मिल पाती, लेकिन कभी इस जगह पर भारतीयों को कदम रखना मना था। इस शहर को लेकर कई दिलचस्प बातें हैं जो इस खबर में आपसे साझा करने जा रहे हैं।
गर्मियों के मौसम में घूमने का लें मजा
गर्मियों के मौसम में मसरी में घूमने का मजा ही कुछ और है। आप यहां एक बार आ गए तो यहां से जाने का मन नहीं करेगा। यहां की प्राकृतिक सुंदरता आपका मन मोह लेगी। मसूरी देश का वो हिल स्टेशन है जहां कभी अंग्रेजों ने भारतीयों के घूमने पर (Best Hill station in india) कड़ी पाबंदी लगाई थी। यहां बड़े-बड़े अक्षरों में लिखाया गया था 'Indians Not Allowed'। आज ये जगह भारतीयों के फेवरेट डेस्टिनेशंस में शामिल है। मानसून में तो यहां का नजारा ही अलग होता है।
दून घाटी का मनोरम दृश्य खींच लेता है अपनी ओर
करीब 200 साल पहले मसूरी को अंग्रेजों द्वारा बसाया गया था। कहा जाता है कि 1823 में अंग्रेजी हुकूमत का एक अफसर एफजे शोर यहां आया था। वह पर्वतारोहण करते हुए यहां पहुंचा तो देखा कि दून घाटी का मनोरम दृश्य काफी आकर्षक था। यहां के प्राकृतिक नजारा (Best Hill stations of india)उनके मन में बस गया। इसके बाद वे एक मचान बनाकर कई दिन तक यहां शिकार के लिए रहे। इसके कुछ समय बाद अंग्रेजों ने यहां पहला भवन बनवाया। 1829 में मि. लॉरेंस ने यहां पर पहली दुकान खोली। कुछ साल बाद यहां पक्की सड़कें बनी और तेजी से बसासत बढ़ने लगी।
माल रोड पर लिखवाए थे ये शब्द
मसूरी के माल रोड पर ब्रिटिशर्स ने दीवार पर बड़े-बड़े अक्षरों में भारतीयों के न आने संबंधी लाइन लिखवा डाली थी। नेहरू परिवार को ये जगह काफी पसंद थी। बाद में इस नियम को पंडित मोती लाल नेहरू ने तोड़ दिया था। आजादी से पहले ही 1920-1940 के दौरान वे अक्सर यहां आते-जाते थे।
पौधे के कारण पड़ा इस शहर का नाम
मसूरी के नामकरण की बात की जाए तो इस शहर का नाम यहां पर बहुलता में उगने वाले पौधे मंसूर के नाम पर पड़ा है। हालांकि यह शहर अंग्रेजों द्वारा बसाया गया था लेकिन आज भारतीयों के लिए घूमने के लिए बेस्ट डेस्टिनेशन में से एक है। आरंभ में इस शहर को मन्सूरी(masoorie ka purana name)कहा जाता था, जो बाद में मूसरी नाम से प्रसिद्ध हो गया। यहां के प्राकृतिक नजारों का जिक्र किताबों व फिल्मों में भी मिलता है। कई गानों व फिल्मों की शूटिंग भी यहां पर हुई है।
ऐसे पहुंचें मसूरी
मानसून के मौसम में आप बारिश की फुहारों का मजा लेना चाहते हैं और मसूरी की सैर का प्लान कर रहे हैं तो यहां पहुंचना बहुत आसान है। यहां पर आने के लिए यातायात के साधन भरपूर मिल जाएंगे। ट्रेन, बस, कार और फ्लाइट आदि की सुविधा यहां पर है। अपनी सुविधानुसार यहां पहुंचने का प्लान कर सकते हैं। मसूरी का सबसे पास का एयरपोर्ट व रेलवे स्टेशन देहरादून है। इसके बाद आप देहरादून से मसूरी के लिए जा सकते हैं।