Indian Railways: ट्रेन में सफेद रंग के ही क्यों होते हैं चादर-तौलिया

Indian Railways Fact : भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। हर रोज हजारों की संख्या में लोग रेल में यात्रा करते है। लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि रेल में यात्रियों को सफेद रंग के चादर-तौलिया ही क्यो दिए जाते है।

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Indian Railways: ट्रेन में सफेद रंग के ही क्यों होते हैं चादर-तौलिया

Hindi News Club (ब्यूरो)। Indian Railway : हर व्यक्ति ने कभी न कभी तो रेल में सफर किया ही होगा। भारतीय रेलवे लोगों की यात्रा को आरामदायक बनाने के लिए प्रयास करता रहता है। लंबी दूरी की यात्रा के लिए अकसर लोग ट्रेन में एसी कोच की बुकिंग कर यात्रा करते है। अब ऐसे में सफर के दौरान रेलवे की ओर से आपको चादर, तौलिया, तकिया का पूरा एक बेड रोल सेट दिया जाता है। ये पूरी ही किट आपके रिजर्वेशन वाली सीट पर रखी दी जाती है। इसके बाद यात्री अपनी जरूरत के अनुसार इसका इस्तेमाल कर सकते है। इस किट में आपको दो सफेद बेडशीट, एक सफेद कवर वाला तकिया, एक सफेद तौलिया और एक कंबल दिया जाता है जो कि ट्रेन के आखिरी स्टेशन से पहले ट्रेन का कोच अटेंडेंट वापस ले लेता  (indian railway facts)है।

ये पूरा  बेड रोल सेट यात्रियों की सुविधा के लिए उपलब्ध कराया जाता है। लेकिन यहां सोचने वाली बात ये है कि रेलवे के द्वारा यात्रियों को सफेद रंग के तकिए चादर ही क्यों दिए जाते (Why do railways provide only white pillow sheets to passengers?) है। क्या आपने कभी इस बारे में सोचा है। अगर आप ये नही जानते है तो इस खबर में हम आपको इस बारे में बताने वाले है। 


जान लें रेल में सफेद रंग का चादर-तकिया मिलने की वजह


लोग रेल में यात्रा तो कर रहे है लेकिन इसमें मिलने वाली सुविधाओं पर कभी सोच विचार ही नही करते है। अब सफेद रंग के चादर तकिए की ही बात करें तो कुछ लोगों का ये सोचना ही कि ये महज एक संयोग है। लेकिन क्या आप जानते है कि ऐसा बिलकुल भी नही है। ये रेलवे वालों की सोची समझी स्ट्रैटजी ही (white sheet-towel in train) है। आए दिन रेलवे को हजारों चादरों-तकिए, तौलिए की जरूरत यात्रियों के लिए पड़ती है। ये लिनेन यात्रियों को इस्तेमाल के लिए दिए जाते हैं ताकि उन्हे सफर में कोई परेशानी न आए।  


क्या है इसके पीछे का लॉजिक?


रेल में हर दिन कई तरह के यात्री सफर करते है। हर कोई अपनी यात्रा में इस बेड रोज सेट का इस्तेमाल करते है।  अब इन लिनेन की सफाई के लिए बड़े बॉयलर से लैस मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है। जानकारी के लिए बता दें कि इन मशीनों में 121 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भाप के जरिए बेड रोल सेट की सफाई (Steam cleaning of bed roll sets of railways) की जाती है वो भी पूरे 30 मिनट के लिए ताकि ये सब अच्छे से सेनिटाइज हो सके। 


ये है सफेद बेड रोल सेट का राज 


अब जैसा कि हमने ऊपर बताया है कि इन्हे बड़े बॉयलर में 121 डिग्री सेल्सियस तापमान पर  सेनिटाइज किया जाता है तो जाहिर सी बात है कि इस जटिल प्रक्रिया की वजह से इन लिनन का रंग खराब हो जाता है। इस तरह से कठोर सफाई के लिए सफेद रंग ही उपयुक्त रहता है  क्योंकि सफेद रंग हाई टेम्परेचर, हार्ड डिटजेंट,  ब्लीचिंग में बेहतर परिणाम देते (railways bedroll set cleaning process) हैं। वहीं अगर रंगीन चादरों को एक साथ धोते है तो रंग एक दूसरे में मिलने का डर भी रहता है और साथ ही रंगीन होने पर कपड़ों का रंग जल्द फीका पड़ने लगता है। इसी वजी से इन बेड रोल सेट का रंग सफेद ही होता है। 


ये था राज


अब ये तो साफ है कि रेलवे की ये स्ट्रैटजी (Railway strategy) लोगों की सुविधा के लिए ही है। क्योंकि  सफेद रंग ब्लीच और बार-बार धोने के बावजूद साफ और चमकदार दिखते हैं। ऐसा ब्जीचिंग प्रोसेस के कारण भी होता है। ऐसे में भारतीय रेलवे यही देखता है कि यात्रियों को साफ-सुथरे कीटाणुरहित बेडरोल सेट (give Travelers clean, disinfected bedroll sets) ही मिले। रंगीन चादरों का रंग जल्दी उड़ सकता हे जो कि भद्दा नजर आता है। 

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