Supreme Court Guidelines चेक बाउंस केस में नहीं काटने पड़ेंगे चक्कर

check bounce cases : चेक बाउंस के मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से हिदायत दी गई है, जिससे अब लोगों को राहत मिलेगी और कोर्ट कचहरी के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।

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Supreme Court Guidelines चेक बाउंस केस में नहीं काटने पड़ेंगे चक्कर

Hindi News Club (ब्यूरो) : आजकल अदालतों में चेक बाउंस के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इन केसों के निपटान में काफी लंबा समय लग जाता है और लोग कोर्ट कचहरी के चक्कर काट-काटकर थक जाते हैं। मगर चेक बाउंस के केसों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसी शानदार सलाह दी है, जिससे लोगों को बड़ी राहत (big relief) मिल सकती है और उनके केसों का निपटारा (Settlement of check bounce cases) भी बहुत जल्द हो सकता है। आइये विस्तार से जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने चेक बाउंस से जुड़े केसों को लेकर किस प्रकार की राहत प्रदान की है।

 

कोर्ट-कचहरी के झंझट से मिलेगा छुटकारा


अगर आपका कोई चेक बाउंस हो गया है और पेमेंट क्लीयर नहीं हो पा रही है। इसको लेकर आप कोर्ट कचहरी के चक्कर (court affairs) काटकर थक चुके हैं तो आपके लिए एक राहत भरी खबर है। चेक बाउंस के मामलों को लेकर देश की सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट ने एक शानदार सलाह (great advice) दी है। जिससे चेक बाउंस के मामले में आपको कोर्ट-कचहरी के झंझट (court troubles) से छुटकारा मिल सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने ये सलाह आम लोगों के साथ-साथ प्रशासन व निचली अदालतों को भी दी है।

 

तेजी से केस निपटाने के लिए दी सलाह


दरअसल देश की अदालतों में बड़ी संख्या में चेक बाउंस के मामले लंबित पड़े हैं। जिनको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई है। इसी तरह के एक केस की सुनवाई (case hearing) के दौरान जस्टिस सुधांशु धूलिया व जस्टिस ए. अमानुल्लाह की पीठ ने चेक बाउंस से जुड़े मामले तेजी से निपटाने के लिए सलाह भी दी।

 

सुनवाई के दौरान की अभियुक्त की सजा रद


चेक बाउंस केस की सुनवाई करते हुए जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस ए. अमानुल्लाह की पीठ ने अभियुक्त पी. कुमारसामी नाम के एक व्यक्ति की सजा रद (punishment canceled) कर दी। पीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि दोनों पक्षों में चेक बाउंस के मामले (check bounce cases) में समझौता हो चुका है और शिकायतकर्ता को दूसरे पक्ष की ओर से 5.25 लाख रुपये का भुगतान भी किया जा चुका है।

 

देश की न्यायिक प्रणाली के लिए चिंता का विषय


केस की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चेक बाउंस के मामले बड़ी संख्या में अदालतों में लंबित (pending in courts) हैं। ये देश की न्यायिक प्रणाली के लिए बहुत ही चिंता का विषय है। इसलिए इनका जल्द निपटारा करने की प्रक्रिया पर जोर देना चाहिए, न कि सजा के प्रावधान (provisions for punishment) पर फोकस करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालतों को भी हिदायत दी कि अगर दोनों पक्ष सहमत हों तो कानून के दायरे में रहते हुए जल्द निपटारा करने का प्रयास करें।

 

कुछ अपराधों में हो सकता है समझौता


सुप्रीम कोर्ट की इस हिदायत से न केवल चेक बाउंस के (check bounce cases) केस में बल्कि कानूनी तौर पर लिखे गए शपथ पत्रों से विवाद की स्थिति पैदा होने पर मामलों के निपटारे में काम आ सकती है। पीठ ने एक आदेश में ये भी कहा कि कुछ अपराध ऐसे होते हैं, जिनमें दोनों पक्षों के बीच समझौता हो सकता है। हमें यह याद रखना होगा कि चेक का बाउंस होना एक रेग्युलेटरी क्राइम (regulatory crime) है, जिसे केवल सार्वजनिक हित को देखते हुए अपराध की कैटेगरी (category of crime) में लाया गया है। ताकि संबंधित नियमों की विश्वसनीयता सुनिश्चित की जा सके।

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