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Hindi News Club (ब्यूरो) : देशभर के वाहन चालकों के लिए बड़ा अपडेट सामने आया है। आने वाले समय में पूरे देश में टोल सिस्टम को बदला जाएगा। इससे कई वाहन चालकों को बड़ी राहत भी मिलेगी तो कुछ के लिए स्थिति सामान्य बनी रहने की संभावना है। केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी (nitin gadkari ) ने नए टोल सिस्टम को लेकर घोषणा भी कर दी है। नए सिस्टम को सैटेलाइट पर आधारित (Satellite Based Toll Collection System) रखा जाएगा। इससे टोल पर लगने वाले जाम से तो छुटकारा मिलेगा ही, साथ ही सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा।
टोल पर नहीं लगेगा जाम
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी 26 जुलाई को घोषणा करते हुए जानकारी दी कि सरकार जल्द ही टोल खत्म कर रही है और सैटेलाइट आधारित टोल संग्रह प्रणाली (New Toll Tax Rules)शुरू की जाएगी। इस सिस्टम को लागू करने के बाद टोल प्लाजा पर भीड़ कम होगी तथा रिवेन्यू बढे़गा। यह सिस्टम अभी दुनिया के कुछ ही देशों में है। इसे भारत में भी शुरू किया जाएगा।
सैटेलाइट बेस्ड टोल सिस्टम को ऐसे समझें
what is satellite based toll collection system : सैटेलाइट बेस्ड टोल सिस्टम के लिए सरकार GNSS बेस्ड टोलिंग सिस्टम का इस्तेमाल करेगी। यह मौजूदा इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम की जगह होगा। इस समय पर टोल सिस्टम RFID टैग्स पर काम करता है जो ऑटोमेटिक टोल कलेक्ट करता है। वहीं दूसरी ओर GNSS बेस्ड टोलिंग सिस्टम में वर्चुअल टोल होंगे। यानी रोड व टोल यही रहेंगे लेकिन टोल का यह स्वरूप नहीं रहेगा। इसके लिए वर्चुअल गैन्ट्रीज इंस्टॉल किए जाएंगे, जो GNSS इनेबल व्हीकल से कनेक्ट होंगे।
वर्चुअल रूप से कट जाएगा टोल
आपकी गाड़ी इस दौरान इन वर्चुअल टोल से गुजरेगी तो यूजर के अकाउंट से पैसे कट जाएंगे। इस सिस्टम (Tax system in india) को अमल में लाने के लिए भारत के पास अपने नेविगेशन सिस्टम GAGAN और NavIC हैं। इन्हीं की मदद से गाड़ियों के ट्रैक करना आसान होगा। इसके साथ ही यूजर का डेटा भी सिक्योर रहेगा। यह काफी सुविधाजनक साबित हो सकता है।
इन लोगों को होगा सीधा फायदा
फास्टैग आधारित मौजूदा टोल सिस्टम में यह एक तरह की खामी है कही जा सकती है कि इस सिस्टम में हाईवे का कम दूरी के लिए भी इस्तेमाल करने पर पूरे टोल का भुगतान करना पड़ता है। वहीं, सैटेलाइट टोल सिस्टम (Satellite Based Toll Collection System) में फायदा यह मिलेगा कि आप जितनी दूरी तय करेंगे आपसे उतनी ही दूरी के लिए टोल देना होगा। मतलब जेब पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा।
हालांकि इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी, क्योंकि यह सरकार पर निर्भर करता है कि कितनी दूरी के लिए कितना टोल टैक्स लगाया जाएगा। इस बारे में पूरी तरह से सैटेलाइट टोल सिस्टम के लागू होने के बाद ही पता लग सकता है।
इन देशों में पहले ही किया गया है यह सिस्टम लागू
सैटेलाइट बेस्ड टोल सिस्टम (New Satellite Based Toll tax System in india)को दुनिया के पांच देशों में पहले ही लागू किया जा चुका है। जर्मनी, हंगरी, बुल्गारिया, बेल्जियम और चेक रिपब्लिक जैसे देश इस सिस्टम को लागू कर चुके हैं। अब यह जल्द ही भारत में भी लागू हो जाएगा।