ITR भरने से पहले जान लें टैक्स छूट और टैक्स डिडक्शन में अंतर

Income Tax : टैक्स छूट और टैक्स डिडक्शन में अंतर को जानना हर टैक्सपेयर के लिए जरूरी है। ITR यानी इनकम टैक्स रिटर्न भरने से पहले इस कंफ्यूजन को दूर कर लेंगे तो कई तरह की आसानी आपको होंगी। आइये जानते हैं इस बारे में डिटेल से इस खबर में।

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ITR भरने से पहले जान लें टैक्स छूट और टैक्स डिडक्शन में अंतर

Hindi News Club (ब्यूरो) : आमतौर पर टैक्सपेयर्स में एक बात को लेकर बड़ी कंफ्यूजन रहती है। वह है टैक्स छूट और टैक्स डिडक्शन (Tax Exemption and Tax Deduction) के बारे में। जी हां, इन दोनों के बीच में काफी अंतर है। अक्सर लोग इसे एक ही समझते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। आइये यहां पर इन दोनों के बारे में पूरी जानकारी लेकर इस कंफ्यूजन को दूर करें।

 

यह है मुख्य रोल


इन दोनों का मुख्य रोल यह है कि इनकम टैक्स रिटर्न भरते समय टैक्स डिडक्शन और टैक्स छूट (Income Tax Rules)की मदद से आप अपनी टैक्सेबल इनकम को कम कर सकते हैं। हर साल जुलाई में Income Tax Returns भरने की टेंशन तो टैक्सपेयर्स को रहती ही है। इस दौरान टैक्स सेविंग के लिए कई तरह के डॉक्यूमेंट की जरूरत भी पड़ती है। फिर बात आती है टैक्स छूट (Tax Exemption) और टैक्स डिडक्शन (Tax Deduction) की। भले ही यह दोनों आपके टैक्स को कम करने में काम आते हों लेकिन हैं अलग-अलग। ये दोनों ही इनकम टैक्स की व्यवस्थाएं हैं।

जानिये टैक्स डिडक्शन के बारे में


टैक्स डिडक्शन एक वित्त वर्ष में किए जाने वाले निवेश और खर्च का ब्योरा होता है। इसे आप रिटर्न भरते समय आपकी कुल आय में से घटा सकते हैं। यही होता है टैक्स डिडक्शन यानी निवेश की गई वह राशि जिसे कुल इनकम में से टैक्स भरते समय घटाया जा सके। इसमें विशेष रूप से म्युचुअल फंड, ईपीएफ, पीपीएफ, लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी, ट्यूशन फीस, हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी प्रीमियम, होम लोन के अलावा एजुकेशन लोन की किस्त और दान का पैसा शामिल होता है। ओल्ड टैक्स रिजीम में टैक्स डिडक्शन के लिए इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C, 80D, 80G, 24 आदि का इस्तेमाल कर सकते हैं। 

 

जानिये इस प्रावधान को

सेक्शन 80C  में प्रावधान है कि इनवेस्टमेंट और खर्च - 1.5 लाख रुपये तक घटाया जा सकता है।
सेक्शन 80CCD (1b) - एनपीएस - 50 हजार रुपये तक घटाया जा सकता है।
सेक्शन 80D - मेडिकल प्रीमियम - 25 हजार रुपये तक 
सेक्शन 80E - एजुकेशन लोन - 8 साल तक भरा जाने वाला ब्याज
सेक्शन 80TTA - सेविंग अकाउंट पर ब्याज - 10 हजार रुपये तक
सेक्शन 80TTB - ब्याज - 50 हजार रुपये तक (60 साल से ऊपर के लोगों के लिए)

क्या है टैक्स छूट 


टैक्स छूट का सीधा मतलब यही  है कि आमदनी के जरिये पर टैक्स में दी जाने वाली छूट। इसमें आय के वे सोर्स आते हैं, जिन पर टैक्स लगता ही नहीं है। इनमें खेती की आय, हाउस रेंट अलाउंस (HRA) और लीव ट्रेवल अलाउंस (LTA) आते हैं। इन्हें इनकम टैक्स एक्ट से सेक्शन 10 में जगह दी गई है। इनमें से ज्यादातर को न्यू टैक्स रिजीम में से हटा दिया गया है। 

सेक्शन 10(13) - हाउस रेंट अलाउंस 
सेक्शन 10(5) - लीव ट्रेवल अलाउंस
सेक्शन 10(14) - फूड (50 रुपये प्रति मील)


क्या हैं ओल्ड टैक्स रिजीम और न्यू टैक्स रिजीम 


इस समय देश में इनकम टैक्स रिटर्न को लेकर ओल्ड टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) और न्यू टैक्स रिजीम (New Tax Regime) के नाम से दो व्यवस्थाएं चल रही हैं। न्यू टैक्स रिजीम में टैक्स छूट की ज्यादातर चीजें हटा दी गई हैं। ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत आप आज भी कई तरह की टैक्स छूट और टैक्स डिडक्शन का लाभ ले सकते हैं। यही कारण है कि अधिकतर ओल्ड टैक्स रिजीम का ही ऑप्शन चुनते हैं। 

 

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