FD में निवेश करने पर होते हैं ये 9 नुकसान, पैसा लगाने से पहले जान लें

आजकल हर कोई अपना पैसा डबल करना चाहता है। ऐसे में सभी निवेश करने की सोचते हैं। वैसे तो बाजार में निवेश के बहुत से विकल्प मौजूद हैं। लेकिन ज्यादातर लोग एफडी यानी फिकस्ड डिपॉजिट में निवेश करना पसंद करते हैं। लेकिन इसके कुछ नुकसान भी हैं चलिए जातने हैं -

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FD में निवेश करने पर होते हैं ये 9 नुकसान, पैसा लगाने से पहले जान लें

Hindi News Club (ब्यूरो)। बाजार में निवेश के बहुत से विकल्प मौजूद हैं। म्यूचुअल फंड, शेयर बाजार (Share Market) और भी कई सरकारी स्कीम हैं जहां निवेश कर मोटा फंड जोड़ सकते हैं। लेकिन भारत में जब बात निवेश की आती है तो कई सारे लोग अपने पैसों को सुरक्षित तरीके से इंवेस्ट  (Investment) करने के लिए फिकस्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) के ऑप्शन को ही चुनते हैं। वहीं, पिछले कुछ साल से प्राइवेट और सरकारी बैंकों ने एफडी (FD Rate) की ब्याज दरों में तेजी से बढ़ोतरी की है। लगातार बढ़ती ब्याज दरों ने इसे एक बेहतरीन निवेश विकल्प बना दिया है। वहीं, एफडी (FD) में पैसा निवेश करने पर अच्छे रिटर्न के साथ कई फायदे होते हैं। लेकिन आपको कुछ नुकसान भी उठाने पड़ सकते हैं। जी हां, आप सही सुन रहे हैं। आइए नीचे खबर में जानते हैं विस्तार से - 

 

एक रिपोर्ट के मुताबिक, फिक्सड डिपॉजिट एक शानदार निवेश विकल्प होने के बावजूद भी इसमें कुछ कमियां हैं। इसलिए एक निवेशक को इसके बारे में जागरूक होने की आवश्यकता है। एफडी में निवेश करने के कई फायदे हैं तो कुछ नुकसान भी हैं। आज हम आपको एफडी में निवेश के 9 नुकसान के बारे में बताने वाले हैं।

 

अन्य निवेश विकल्पों से कम मिलता है रिटर्न - 

 


फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करने का पहला नुकसान यह है कि फिक्स्ड डिपॉजिट में फिक्स इंटेरस्ट (Fixed Deposit Interest) मिलता है जिसके वजह इसमें बहुत कम रिटर्न मिल पात है। आमतौर पर स्टॉक या म्यूचुअल फंड जैसे अन्य निवेश विकल्पों द्वारा दिए गए रिटर्न से कम होता है।

निश्चित ब्याज दर


फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) का दुसरा नुकसान यह है कि आवेदन के समय ब्याज दर निर्धारित की जाती है। जब आप एक निश्चित ब्याज दर पर एफडी खोलते हैं, तो आपको अवधि के अंत तक उस दर पर ब्याज मिलता रहता है।


लॉक-इन-पीरियड


एक बार जब आप एफडी (FD) में निवेश करते हैं, तो आपका पैसा डिपॉजिट की अवधि के लिए लॉक हो जाता है। इसका मतलब यह है कि आप अपने पैसे का उपयोग तब तक नहीं कर सकते जब तक कि अवधि समाप्त न हो जाए, भले ही आपके पास आपात स्थिति हो।

 

TDS


एफडी पर आप जो ब्याज अर्जित करते हैं वह टैक्सेबल इनकम है। इसका मतलब है कि आपको अर्जित ब्याज पर टैक्स चुकाना होगा। एफडी का ब्याज ‘Income from Other Sources’ की श्रेणी में आता है।

 

महंगाई

 

टैक्स को ध्यान में रखे जाने के बाद भी निवेश पर रिटर्न आदर्श रूप से महंगाई की दर से अधिक होनी चाहिए। एफडी पर ब्याज दर ज्यादातर महंगाई की दर से कम होती है। ऐसे में अगर एफडी (FD) से महंगाई को मात देने वाला रिटर्न नहीं मिलता है तो उसमें निवेश करना अच्छा विचार नहीं है। अगर महंगाई दर आपके एफडी पर ब्याज दर से अधिक है, तो समय के साथ आपके पैसे का मूल्य कम हो जाएगा।

 

लिक्विडिटी


एफडी में आपको लिक्विडिटी की दिक्कत होती है। अगर आप जरुरत पड़ने पर एफडी को तोड़ते हैं तो आपको इस पर प्री-मैच्योर पेनल्टी देनी होती है।

 

कोई कैपिटल गेन्स नहीं


आप एफडी (FD) पर कोई कैपिटल गेन्स नहीं कमाते हैं।

 

बैंक दिवालिया हो सकता है


FD को एक सुरक्षित निवेश माना जाता है, लेकिन बैंक के दिवालिया होने का खतरा हमेशा बना रहता है। अगर ऐसा होता है, तो आप अपने निवेश का पूरा या कुछ हिस्सा खो सकते हैं।

 

प्रीमैच्योर विड्रॉल पर जुर्माना


बैंक जमाकर्ताओं को अपनी एफडी से प्रीमैच्योर विड्रॉल (Premature withdrawal from FD) का विकल्प प्रदान करते हैं। हालांकि, उन्हें प्रीमैच्योर विड्रॉल के लिए शुल्क देना पड़ता है।

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