Hindi News Club (ब्यूरो)। कल 2 सितंबर को सोमवार के दिन अमावस्या है। पंचांग व लोक रीति अनुसार इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। यह विशेष संयोग (Aaj ka Panchang) से ही आती है यानी सोमवार के दिन बहुत कम अमावस्या आती है। इसलिए सोमवार के दिन अमावस्या (Somwati Amavasya)का होना अधिक धार्मिक महत्व रखता है। अध्यात्म की दृष्टि से देखा जाए तो इस दिन की गई पूजा व दान का विशेष फल मिलता है पुण्य की प्राप्ति होती है।
यह रहेगा शुभ मुहूर्त
सोमवती अमावस्या का मुहूर्त 2 सितंबर सुबह 05:21 से शुरू (आज का पंचांग) होकर अगले दिन की सुबह 07:24 बजे तक रहेगा। पंचांग ही नहीं, शास्त्रों के अनुसार भी इस दिन (2 September 2024 ka Panchang In Hindi)सुबह और शाम भगवान शिव की पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन अभिजित मुहूर्त सुबह 11:52 से लेकर दोपहर 12:33 तक रहेगा। कल के पंचांग के अनुसार और भी कई महत्वपूर्ण समय हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में।
कल के पंचांग के अनुसार महत्वपूर्ण समय
संवत : पिंगला विक्रमी संवत् 2081
माह-भाद्रपद ,कृष्ण पक्ष
तिथि-अमावस्या
व्रत व पर्व- अमावस्या व्रत
दिवस-सोमवार
सूर्योदय-05:40am
सूर्यास्त-06:36pm
नक्षत्र- मघा
चन्द्र राशि --सिंह
सूर्य राशि-सिंह
करण- चतुष्पद
योग- शिव
2 सितंबर को शुभ मुहूर्त के समय
अभिजीत मुहूर्त या काल -11:52am से 12:33 pm
विजय मुहूर्त-02:21pm से 03:25 pm तक
गोधूली मुहूर्त--06:24 pm से 07:23 pm तक
ब्रह्म मुहूर्त-4:06m से 05:04am तक
अमृत काल-06:07am से 07;53am तक
निशीथ काल मुहूर्त-रात्रि 11:52 से 12:43तक रात
संध्या पूजन-06:21 pm से 07:07pm तक
दिशा शूल के रूप में पूर्व दिशा को अपनाएं और इस दिशा में यात्रा से बचें। यदि आवश्यक है तो एक दिन पहले प्रस्थान करें। सेामवती अमावस्या का दिन अध्यात्मिक रूप से आपके लिए अहम है।
राहुकाल का समय
कल राहुकाल (2 September 2024 Rahukaal) का समय 7:30 बजे से 9 बजे तक रहेगा। सोमवती अमावस्या भगवान शिव की उपासना का पवित्र दिवस है। अमावस्या में शंकर की उपासना व व्रत का नियमपूर्वक पालन करने से कई पापों का नाश होता है। पितृ दोष का उपाय भी इस व्रत से कर सकते हैं। कल के दिन तिल व चावल का दान करना आपके लिए श्रेष्ठ रहेगा। पितृ दोष शमन के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध अनुष्ठान कराएं। पूर्व जन्म के पापों के शमन के लिए बंगलामुखी अनुष्ठान का बहुत महत्व है। शुद्ध आचरण व खान पान रखें। किसी का अपमान न करें। श्रद्धा का भाव रखते हुए दान करें।