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Hindi News Club (ब्यूरो)। कई बार बच्चे छोटी-छोटी बातों पर अड़ जाते हैं। पैरेंट्स के लिए उन्हें मनाना (Baccho ko mnane ke treeke) भी मुश्किल हो जाता है। बच्चे का छोटी-छोटी बातों पर अड़ना ही जिद्दी करना कहलाता है। आप यहां पर बताए गए ये आसान से टिप्स फॉलों करेंगे तो अपका बच्चा तो जिद्दी करना (How to keep your child from being stubborn) छोड़ ही देगा, साथ ही वह आपकी हर बात में ठीक-गलत का भाव भी समझने लगेगा।
पहले पैरेंट्स को सही व गलत का फर्क समझना होगा
आमतौर पर यह भी देखा गया है कि कई बच्चे उम्र बढ़ने के साथ जिद्दी होने लगते हैं। उन्हें सही गलत का फर्क समझाने व सही आदतों में लाने के लिए पैरेंट्स द्वारा अपनाए कुछ तरीके (Tips when your child is stubborn)कारगर हो सकते हैं। सबसे पहले तो पैरेंट्स को ही यह समझना होगा कि बच्चे को किस बात पर टोका जाए और किस बात पर नहीं। हर बात पर ना और हां करना कितना ठीक रहेगा और कितना गलत। सही-गलत का फर्क समझना होगा। इसके लिए जिद्दी बच्चे को कंट्रोल करने के टिप्स के बारे में बारीकी से जानना जरूरी है।
जरा सी अनदेखी बिगाड़ सकती है बच्चा -
बच्चा अगर दिन प्रतिदिन अधिक जिद्दी होने लगे तो समय रहते ही उसे कंट्रोल करना लेना जरूरी है। कई बार माता-पिता सोचते हैं कि शरारत व जिद्दी बच्चों का स्वभाव होता है और ऐसे में अनदेखी में बच्चा बिगड़ सकता है। समय पर ध्यान न देने से बच्चा धीरे-धीरे गुस्सैल और एग्रेसिव होने लगता है। बहुत से पैरेंट्स (Good Behave of parents) इस बात से चिंता में रहते हैं कि कई कोशिशों के बाद भी उनका बच्चा दिन पर दिन जिद्दी होता जा रहा है। ऐसी सूरत में बच्चे के साथ पैरेंट्स को अपना व्यवहार बदलने की जरूरत आन पड़ती है। इस स्थिति में कुछ पैरेंटिंग टिप्स आपके काम आ सकते हैं।
ये टिप्स करें फॉलो
सबसे पहले बच्चे की बात को शांति से सुनें और खुद भी शांत रहें। पैरेंट्स को बच्चे के सामने उदाहरण बनकर रहना होगा। बच्चे की जिद पर चिल्लाने या गुस्सा करने से स्थिति और खराब हो सकती है। बच्चा जब भी गुस्सा हो या जिद करे तो उसका जवाब गुस्से से नहीं बल्कि शांत होकर दें। इसे बच्चा भी फॉलो करेगा।
बच्चे की भावना को समझें
बच्चे को प्यार से यह महसूस कराएं कि आप उसकी बात सुन रहे हैं। उसकी भावनाओं को समझने की कोशिश करें और उसे अपनी बात कहने दें। छोटी-छोटी बात में बच्चे को न डांटें। उसकी कोई जायज बात मानकर व अन्य जिद को न कहकर उसे अहसास कराएं कि पैरेंट्स ठीक कह रहे हैं।
विकल्प पेश करें
बच्चे को हमेशा ना न कहें। यह मानकर कि उसकी जिद (What to do if the child is stubborn) करने की आदत है, आप ना न करें बल्कि उसे विकल्प दें। उदाहरण के लिए यदि वह कुछ खाने की चीज मांग रहा है और आपको लगता है कि उसे यह चीज बीमार कर देगी तो आप बच्चे को उस चीज से अच्छा विकल्प देते हुए कह सकते हैं कि यह चीज उससे भी अच्छी है या बच्चे को बाद में दिलाने की दिलासा दे सकते हैं। बाद में वह अपनी जिद को भूल सकता है।
बच्चे को ज़िम्मेदारी दें
बच्चे को छोटी-छोटी जिम्मेदारियां देकर उसे आत्म सम्मान (Self respect)का अहसास कराएं। वह सशक्त महसूस करेगा। दूसरे बच्चों से उसे श्रेष्ठ बताएं। कई बार बच्चा दूसरे बच्चों को देखकर जिद करता है। इसलिए बच्चे को उससे श्रेष्ठ बताने पर हो सकता है वह उस चीज की जिद न करे। कई बार बच्चे अनिर्णय की स्थिति में रहने की वजह से भी गुस्सैल (What to do if the child is angry)होने लगते हैं। बच्चे की पसंद को लेकर उसे कहें कि ये सही नहीं कुछ और बताओ। उसे वह विकल्प सुझा सकते हैं तो आपके दिमाग में चल रहा है।
परिणामों को स्पष्ट करना जरूरी
बच्चों को आराम से प्यार से बताएं कि आपको क्या स्वीकार्य है और क्या नहीं। ध्यान रखें कि इससे बच्चे में डर की भावना पैदा न हो। आप अपने व्यवहार में विनम्रता रखें, ऐसे में वे भी विनम्रता से पेश आने की कोशिश करेंगे।
इन बातों का भी रखें ध्यान
बच्चे का जिद्दी होना कुछ समय के लिए हो सकता है। बाद में यह स्वत: दूर हो सकती है, इसलिए धैर्य रखें और गुस्सा न करें। यदि आपको अपने बच्चे की जिद को संभालने में परेशानी हो रही है, तो किसी बाल मनोवैज्ञानिक या अन्य विशेषज्ञ से सलाह ले सकते हैं। यह याद रखना चाहिए कि हर बच्चे की सोच व स्वभाव अलग होता है और इनमें से सभी टिप्स हर बच्चे पर काम नहीं करते। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप अपने बच्चे के साथ धैर्य रखें और समझदारी से व्यवहार करें। बाल मनोविज्ञानी (child psychologist)से मिलकर आप परामर्श ले सकते हैं।