इन बातों का रखेंगे ध्यान तो कभी खराब नहीं होगा रिश्ता
आज रिश्ते को संभालना काफी जरूरी है क्योंकि आज बहुत सारे लोगों के रिश्ते सिर्फ छोटी छोटी बातों की वजह से ही बिगड़ जाते हैं | रिश्ते को बिगड़ने से बचाने के लिए ये है कुछ आसान टिप्स
आज रिश्ते को संभालना काफी जरूरी है क्योंकि आज बहुत सारे लोगों के रिश्ते सिर्फ छोटी छोटी बातों की वजह से ही बिगड़ जाते हैं | रिश्ते को बिगड़ने से बचाने के लिए ये है कुछ आसान टिप्स
आज रिश्ते को संभालना काफी जरूरी है क्योंकि आज बहुत सारे लोगों के रिश्ते सिर्फ छोटी छोटी बातों की वजह से ही बिगड़ जाते हैं | रिश्ते को बिगड़ने से बचाने के लिए ये है कुछ आसान टिप्स
आज रिश्ते को संभालना काफी जरूरी है क्योंकि आज बहुत सारे लोगों के रिश्ते सिर्फ छोटी छोटी बातों की वजह से ही बिगड़ जाते हैं | रिश्ते को बिगड़ने से बचाने के लिए ये है कुछ आसान टिप्स
आज रिश्ते को संभालना काफी जरूरी है क्योंकि आज बहुत सारे लोगों के रिश्ते सिर्फ छोटी छोटी बातों की वजह से ही बिगड़ जाते हैं | रिश्ते को बिगड़ने से बचाने के लिए ये है कुछ आसान टिप्स
आज रिश्ते को संभालना काफी जरूरी है क्योंकि आज बहुत सारे लोगों के रिश्ते सिर्फ छोटी छोटी बातों की वजह से ही बिगड़ जाते हैं | रिश्ते को बिगड़ने से बचाने के लिए ये है कुछ आसान टिप्स
अगर हमारे रिश्तों के बीच किसी भी तरह का गणित होगा तो देर-सबेर उसका प्रभाव हमारे रिश्तों पर पड़ेगा ही। इसलिए गणित के माध्यम से पनपे रिश्ते सिर्फ यांत्रिक संबंध होते हैं। उनमें किसी तरह की संवेदना नहीं होती है। दरअसल रिश्ते कैसे निभाए जाएं, यह किसी किताब से नहीं सीखा जा सकता। रिश्ते निभाने के बने-बनाए नियम नहीं होते हैं।
किसी किताब से पढ़कर इस तरह के नियमों को यदि अपने संबंधों पर लागू किया जाएगा तो विफलता ही हाथ लगेगी। असली सवाल यह है कि हमारे संबंधों में कितनी ऊष्मा है ? क्या हम संबंधों की ऊष्मा को बाद तक कायम रख पाते हैं ? कई बार ऐसा होता है कि शुरू में हमारे संबंध बहुत अच्छे होते हैं लेकिन समय बीतने के साथ संबधों की ऊष्मा कम होती चली जाती है। हमें उन कारणों पर ध्यान देने की कोशिश करनी होगी जो हमारे संबंधों की ऊष्मा को कम करते हैं।
गलतफहमी को संवाद के माध्यम से ही दूर किया जा सकता है। हमें कोशिश करनी होगी कि रिश्तों के बीच हमेशा आपसी संवाद में पारदर्शिता बनी रहे। अगर संवाद में पारदर्शिता बनी रहेगी तो कभी भी गलतफहमी पैदा नहीं हो सकती। किसी भी तरह की औपचारिकता रिश्तों को बोझिल बनाती है। सहज रूप से रिश्तों को निभाकर ही हम सुखी रह सकते हैं।