कार बेचते समय कम्पनी ग्राहकों को नहीं बताती ये बातें, आप भी जानिए
आज हर रोज़ लाखों गाड़ियां बिक रही है और अगर आप भी कोई गाडी खरीदने जा रहे हैं तो जान लजिए की कम्पनी वाले गाडी बेचते समय बहुत सारी बातों को नहीं बताते और आपके लिए ये जानना जरूरी है
आज हर रोज़ लाखों गाड़ियां बिक रही है और अगर आप भी कोई गाडी खरीदने जा रहे हैं तो जान लजिए की कम्पनी वाले गाडी बेचते समय बहुत सारी बातों को नहीं बताते और आपके लिए ये जानना जरूरी है
कंपनियां अक्सर अपने विज्ञापनों में फ्यूल एफिशिएंसी (माइलेज) का दावा करती हैं, लेकिन यह आंकड़े आदर्श परिस्थितियों पर आधारित होते हैं. असल में, रियल-वर्ल्ड कंडीशंस में, जैसे कि ट्रैफिक, रोड कंडीशंस, और ड्राइविंग स्टाइल, माइलेज कम हो सकता है. ग्राहक अक्सर इस वास्तविकता को नहीं समझ पाते और बाद में उन्हें निराशा होती है.
कंपनियां मेंटेनेंस कॉस्ट के बारे में पूरी जानकारी नहीं देतीं. वे वारंटी और फ्री सर्विस की बात करते हैं, लेकिन असल में, कुछ हिस्सों की रिप्लेसमेंट या रिपेयर की लागत काफी ज्यादा हो सकती है. ग्राहक कार खरीदते समय इन खर्चों को नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे बाद में उन्हें भारी मेंटेनेंस बिल्स का सामना करना पड़ता है.
ग्राहकों को यह बताने में कोताही बरती जाती है कि सर्विसिंग के लिए स्पेयर पार्ट्स कितने आसानी से उपलब्ध होंगे. कुछ मॉडलों के स्पेयर पार्ट्स महंगे या दुर्लभ हो सकते हैं, जिससे सर्विसिंग का खर्च और समय बढ़ सकता है.
कंपनियां सेफ्टी फीचर्स का खूब प्रचार करती हैं, लेकिन यह नहीं बतातीं कि कौन से फीचर्स वास्तव में आवश्यक हैं और कौन से सिर्फ मार्केटिंग के लिए हैं. उदाहरण के लिए, एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS) और एयरबैग्स जैसी बेसिक सेफ्टी फीचर्स की तुलना में अन्य फीचर्स कम महत्वपूर्ण हो सकते हैं.
कंपनियां वारंटी की अवधि पर जोर देती हैं, लेकिन इसके भीतर क्या-क्या शामिल है, इस पर स्पष्टता नहीं देतीं. वारंटी में अक्सर कई पार्ट्स और सर्विसिंग को शामिल नहीं किया जाता, जिसे ग्राहक समझ नहीं पाते और बाद में अप्रत्याशित खर्चों का सामना करते हैं.
कंपनियां यह नहीं बतातीं कि कुछ मॉडल्स की रिसेल वैल्यू अन्य कारों के मुकाबले कम हो सकती है. ग्राहकों के लिए यह जानना जरूरी है कि जिस कार को वे खरीद रहे हैं, उसकी भविष्य में कितनी रिसेल वैल्यू होगी, क्योंकि इससे उनकी निवेश की कुल लागत पर असर पड़ता है.
अक्सर कंपनियां केवल एक्स-शोरूम कीमत बताती हैं, जबकि ऑन-रोड कीमत में अन्य कई चार्जेस शामिल होते हैं, जैसे कि रोड टैक्स, इंश्योरेंस, और अन्य लॉजिस्टिक चार्जेस. ये छिपे हुए चार्जेस कार की कुल लागत को काफी बढ़ा सकते हैं.