750ML की ही क्यों होती है शराब की बोतल, जानिए

जब भी आप शराब लेने जाते हैं तो आम तौर पर आपको शराब की बोतल 750ML की मिलती है, क्या है इसके पीछे का कारण भट सारे लोग नहीं जानते और आज हम आपको इसके बारे में ही बताने जा रहे हैं

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भारत में शराब पीने वालों के बीच खंभा, अद्धा,पौवा, और बच्चा आम बोलचाल के शब्द हैं. अधिकतर एल्कोहॉल ब्रांड्स में 750 मिली की बोतल को खंभा, 375 मिली की बोलत को अद्धा, 180 मिली की बोलत को, क्वाटर या पौवा कहा जाता है.

शराब की स्टैंडर्ड बोतल 750 ml की ही क्यों होती है?

स्टैंडर्ड बोतल 750 ml की ही क्यों होती है? इस सवाल के जवाब के लिए हमें 18वीं सदी में जाना होगा. ये वो दौर था, जब कांच की कीमत सस्ती होने की वजह से, हर घर में कांच का इस्तेमाल होने लगा था. इसी क्रम में शराब को भी कांच की बोतल में रखना बेस्ट माना जाने लगा. जानकारी के मुताबिक तब कांच की बोतल बनाने के लिए ग्लास ब्लोइंग टेक्निक का इस्तेमाल होता है.

750ML

इस टेक्निक में उबलते हुए शीशे में मेटल के एक खोखेल पाइप के सिरे को डाला जाता था. जब गर्म शीशा पाइप के चारों ओर लिपट जाता तो उसे स्टील की प्लेट पर घुमाकर शेप दिया जाता था. इसके बाद कारीगर खोखले पाइप को फूंककर शीशे में हवा भरते थे और उस वक्त 750 मिली साइज तक ही बोतल फूल पाती थी. तब से 750 मिली को कांच की बोतल का स्टैंडर्ड साइज मान लिया गया था.

शराब परोसने वाला शब्द 'पेग' कहां से आया?

भारत और नेपाल समेत कई देशों में शराब परोसने के लिए पेग शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. पेग शब्द डेनमार्क के मापन की इकाई Paegl से लिया गया है. अगर आपके मन में सवाल आता है कि आखिर शराब को 30 या 60 मिली में क्यों परोसा जाता है? तो हम आपको इसका जवाब दे देते हैं.

Peg

दरअसल शराब की सबसे छोटी यूनिट 30 मिली है क्योंकि यह सेहत के लिहाज से ठीक है. दरअसल जब हम शराब को गले से उतारते हैं, तो यह पेट तक पहुंचते ही हमारे शरीर को बाहरी जहरीले तत्व की तरह इंडीकेट करती है. जैसे ही शराब शरीर में जाती है वैसे ही शरीर इसे तुरंत बाहर निकालने की प्रक्रिया भी शुरू कर देता है .वहीं 30 मिली शराब शरीर में धीरे-धीरे जाती है और शरीर इसे आसानी से पचा लेता है.

'शॉर्ट' और 'पेग' में आखिर क्या अंतर होता है?

पुराने जमाने में शराब को मर्दानगी की निशानी माना जाता था. उस वक्त मर्द बिना पानी, सोडा और जूस के नीट पीते थे. उनके एक बार में शराब पीने को शॉट कहा जाता था. शॉट आमतौर पर भारत में 20 मिली, 30 मिली और 60 मिली परोसा जाता है.

किसने की थी पटियाला पेग की शुरुआत?

वहीं पटियाला पेग की शुरुआत पटियाला के महाराजा भूपेंदर सिंह ने की थी. दरअसल महाराज और आइरिश टीम के बीच पोलो मैच होना था. आइरिश टीम बहुत मजबूत थी इसलिए राजा ने जीतने के लिए मैच से पहले आइरिश टीम को शराब की बड़ी मात्रा परोसे जाने का आदेश दिया था. अगले दिन जब आइरिश टीम हैंगओवर के साथ मैदान पर उतरी तो वह हार गई और उन्होंने महाराज से शिकायत भी की. तब राजा ने कहा कि पटियाला में एक बार में इतनी ही शराब परोसी जाती है इसके बाद भारतवर्ष में पटियाला पेग फेमस हो गया. बता दें कि भारत में 90 मिली, 120 मिली के पेग को पटियाला पेग कहा जाता है.